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2017 में कमजोर मानसून का पहला संकेत

स्काईमेट के मुताबिक 2017 में एक बार दक्षिण-पश्चिम मानसून कमजोर रहने वाला है. मौसम एजेंसी के मुताबिक 2017 में अनुमान के मुताबिक 5 फीसदी कम रहने का अनुमान है.

मौसम विभाग के अनुसार इस मानसून एक बार फिर देश की खरीफ बुआई के लिए बुरी खबर बन कर आ सकता है.  भारत  जैसे देश में 60 फीसदी से अधिक लोग कृषि पर निर्भर है और देश के अधिकांश भाग में खरीफ फसल पूरी तरह से दक्षिण-पश्चिम मानसून पर निर्भर है.

अलनीनो का असर
मौसम एजेंसी के अनुसार कमजोर मानसून का कारण अलनीनो हो सकता है. प्रशांत महासागर से मिल रहे संकेत को देखते हुए लग रहा है कि एक बार अल नीनो का खतरा बढ़ रहा है. ऑस्ट्रेलिया मौसम विभाग के मुताबिक अल-नीनो बढ़ने से एशिया में सूखा और दक्षिण अमेरिका में भारी बारिश की संभावना बन रही है.

एजेंसी के मुताबिक कम से कम 60 फीसदी अल-नीनो की संभावना है. अल-नीनो का असर जुलाई से दिखने को मिल सकता है. लिहाजा मौसस एजेंसी की मानें तो 2016 में अच्छे मानसून से मजबूत खरीफ फसल के बाद एक बार फिर 2017 में खराब मानसून की आशंका है.

दक्षिण-पश्चिम मानसून
स्कायमेट के मुताबिक मध्य भारत में मानसून जून के दूसरे हफ्ते तक पहुंचता है. वहीं 22-24 जून तक उत्तर भारत में मानसून पहुंचने की संभावना रहती है. मौसम एक्सपर्टों के मुताबिक इस बार मानसून 5 फीसदी तक कम रह सकता है ऐसे में खरीफ फसलों की कीमतों में तेजी आना भी तय है.

भारत में खरीफ सीजन की शुरुआत राज्यों और फसलों के आधार पर होता है. खरीफ सीजन की शुरुआत मई से होती है और जनवरी में खत्म होती है। हालांकि आमतौर पर खरीफ सीजन की शुरुआत जून से हो जाती है औऱ अक्टूबर में खत्म माना जाता है. खरीफ की मुख्य फसल चावल, मक्का, सोयबीन, कपास और ग्वार है. इसके अलावा ज्वार, बाजरा, मूंग, मूंगफली, अरहर, उड़द और सूर्यमुखी की फसल भी बोई जाती है.

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